छत्तीसगढ़ के जेल महानिदेशक हिमांशु गुप्ता ने जेल में कैदियों के लाइब्रेरी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का तथाकथित मुखपत्र पांचजन्य और ऑर्गनाइजर को शामिल करने के फैसले के बाद राजनीतिक विवाद पैदा हो गया है.
उन्होंने ये फैसला तब लिया, जब वह हाल ही में रायपुर सेंट्रल जेल का निरीक्षण करने पहुंचे थे. जहां उन्होंने पता चला कि जेलों के पुस्तकालयों में साप्ताहिक पांचजन्य और ऑर्गनाइजर को कभी सप्लाई नहीं की गई. हालांकि, आज तक की टीम ने कई बार हिमांशु गुप्ता से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.
वहीं, नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ अधिकारी से बात करने पर हमारी टीम को पता चला कि हिमांशु गुप्ता ने पत्रिकाओं के इन दो साप्ताहिक संस्करणों को पुस्तकालयों के कैश में जोड़ने के बारे में सोचा, क्योंकि इससे कैदियों को तेजी से मुख्यधारा में आने में मदद मिलेगी और उन्हें मदद मिलेगी. धर्म के साथ एक संबंध विकसित करने में मदद मिलेगी जो आखिरकार उनकी रिहाई के बाद उनके जीवन में मदद करेगा.
कांग्रेस ने किया हमला
जेल महानिदेशक के इस फैसले को लेकर कांग्रेस उन पर हमलावर है. आकाश शर्मा ने कहा, ‘हिमांशु गुप्ता नए डीजीपी बनने की दौड़ में हैं, इसलिए वह ब्राउनी प्वाइंट हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि वह तेजी से नए पद पर आसीन हो सकें.’ यदि कोई सनातन धर्म के बारे में जानना चाहता है तो कैदियों के लिए ये दो पत्रिकाएं ही एकमात्र विकल्प नहीं हैं. आरएसएस जेल के अंदर भी विभाजनकारी राजनीति करने की कोशिश कर रहा है, जहां से भगत सिंह, महात्मा गांधी जैसे कई स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी. उन्हें इस जगह को अपनी गंदी राजनीति से दूर रखना चाहिए.’
‘कैदियों का बाहरी दुनिया से जुड़ना जरूरी’
भाजपा के वरिष्ठ नेता और छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने भी कहा कि “कैदियों के लिए बाहरी दुनिया, खासकर सनातन धर्म से जुड़ना सर्वोपरि है. यही कारण है कि पुस्तकालयों को सभी विविध विषयों पर किताबें उपलब्ध कराई जाएंगी. जेल में अन्य पुस्तकों के साथ ये पत्रिकाएं भी शामिल होंगी.”
उन्होंने ये भी कहा कि आरएसएस का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. लोगों को सनातन धर्म के बारे में शिक्षा देने वाले अच्छे लेखकों द्वारा लिखी गई पुस्तकें रखी जाएंगी. मुझे लगता है कि यह किसी भी राजनीति का हिस्सा होना चाहिए. छत्तीसगढ़ में 20 जिला जेलों के साथ कुल पांच केंद्रीय जेल और आठ उप जेल हैं. हालांकि, यह जानना महत्वपूर्ण है कि यह फैसला पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के 15 साल के शासनकाल के दौरान नहीं लिया गया था.