स्टिंग ऑपरेशन बेटी बचाओ पार्ट-3: हिडन कैमरा और प्रेग्नेंट लेडी की एक्टिंग… भ्रूण हत्या करने वाले रैकेट को आजतक ने ऐसे कर दिया एक्सपोज

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आपने आज तक के स्टिंग ऑपरेशन ‘द वैनिशिंग डॉटर्स’ के दूसरे पार्ट में पढ़ा था कि कैसे हरियाणा में जन्म से पहले लिंग परीक्षण और गर्भपात एक फलता-फूलता अवैध धंधा बन गया है. सरकारों ने इसे रोकने के लिए सख्त नियम-कानून तो बनाए हैं, लेकिन जिन्हें इसे धरातल पर लागू करना है उनकी इस रैकेट के साथ सांठगांठ है. पेश है इस स्टिंग ऑपरेशन का तीसरा पार्ट…

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बिचौलियों का पता लगाने और पीसी-पीएनडीटी (Pre-Conception and Pre-Natal Diagnostic Techniques Act 1994) अधिनियम के तहत आरोपी व्यक्तियों से बातचीत करने के बीच, मैंने स्टिंग ऑपरेशन में शामिल अधिकारियों के साथ समय बिताया. ये कोई आम पुलिस टीम नहीं है. ये पेशे से डॉक्टर हैं और भारत में अवैध लिंग परीक्षण इंडस्ट्री चलाने वालों से निपटने के लिए कानून को लागू करने की जिम्मेदारी इनके कंधों पर है. हालांकि, अब वे छापेमारी करने में भी कुशल हो गए हैं.

वे मुखबिरों के एक नेटवर्क की सहायता से काम करते हैं. मुखबिर उन स्थानों की पहचान करते हैं जहां पीसी-पीएनडीटी एक्ट का उल्लंघन किया जा रहा है और इसकी जानकारी इस लॉ एंफोर्समेंट टीम को देते हैं. इन मुखबिरों को प्रत्येक सफल भंडाफोड़ के लिए 1 लाख रुपये का पुरस्कार दिया जाता है. लेकिन सिर्फ सूचना से ही इन रैकेट्स का पर्दाफाश नहीं हो जाता. अक्सर कुछ ही घंटों में ऐसे रैकेट अपना काम बदल लेते हैं. किसी फार्महाउस, किसी क्लिनिक या फिर किसी निजी घर में इनका सेटअप होता है, जिसे हटाने में इन्हें ज्यादा वक्त नहीं लगता. तकनीक ने ऐसे रैकेट्स को बहुत सक्रिय और अनट्रेसेबल बना दिया है. 

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वे शायद ही कभी निश्चित स्थानों का उपयोग करते हैं, तथा उनके पास आने वाले मरीजों को लगभग हमेशा विश्वसनीय संपर्कों के माध्यम से होकर आना पड़ता है. इस तरह के रैकेट्स का स्टिंग करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता होती है एक ऐसी महिला जो कम से कम चार महीने की गर्भवती हो और हिडेन कैमरे के साथ सबकुछ रिकॉर्ड करते हुए लिंग परीक्षण कराने को तैयार हो. यह भूमिका व्यक्तिगत जोखिम से भरी है और इसके लिए सरकार से 25,000 रुपये का मामूली पारिश्रमिक मिलता है. ऐसी किसी महिला को ढूंढ़ना सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है. कई मामलों में, अधिकारी व्यक्तिगत संपर्कों पर निर्भर रहते हैं. ऐसी कुछ महिलाओं को अपराधियों को बचाने की कोशिश करने वाले ग्रामीणों के हमलों का भी सामना करना पड़ा है. मार्च 2025 तक हरियाणा ने 1,248 से ज्यादा ऐसे छापों पर लगभग 6 करोड़ रुपए खर्च किए हैं. फिर भी ठगर अभी कठिन है. नौकरशाही की बाधाओं, स्थानीय शत्रुता और अंतर-राज्यीय अधिकार क्षेत्र संबंधी जटिलताएं ऐसे रेड में कठिनाई लाती हैं. इन चुनौतियों को प्रत्यक्ष रूप से समझने के लिए, मैंने एक वास्तविक पीसी-पीएनडीटी रेड में अंडरकवर महिला बनने का निर्णय लिया. 

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रेड डालने की प्लानिंग

मेरा अनुरोध हिसार जिले के पीसी-पीएनडीटी नोडल अधिकारी डॉ प्रभु दयाल ने स्वीकार कर लिया. उन्हें घरों में कथित रूप से अवैध लिंग परीक्षण करने वाले एक अपंजीकृत सेटअप पर होने वाले ऑपरेशन के लिए अंडरकवर महिला की आवश्यकता थी. 17 मार्च को कैथल के पास ऑपरेशन होना था. डॉ. दयाल ने सुझाव दिया कि मैं एक डमी गर्भवती महिला के रूप में हिसार से एक वास्तविक गर्भवती पुलिस सब-इंस्पेक्टर के साथ जाऊं, जो डिकॉय 1 (अंडरकवर ​महिला) के रूप में काम करेगी. मुखबिर ने संकेत दिया था कि संदिग्ध लोग एक साथ दो या उससे ज्यादा महिलाओं का अल्ट्रासाउंड करना पसंद करते हैं. मेरे शरीर के आकार और वजन के कारण, डॉ. दयाल को लगा कि मैं गर्भवती महिला के तौर पर आसानी से पास हो सकती हूं. ऑपरेशन की तारीख अब 20 मार्च तय की गई. हमें सुबह 8 बजे अंबाला पहुंचना था, जहां से ऑपरेशन आगे बढ़ना था. 

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मैं सुबह 4 बजे दिल्ली से निकली और 8 बजे तक अंबाला कोर्ट कॉम्प्लेक्स पहुंच गई. एक कार मेरा इंतजार कर रही थी, जिसमें हिसार से एक अधिकारी, एक गर्भवती सब-इंस्पेक्टर (डिकॉय 1, जिसे मैं सहाना कहूंगी) और हमारा ड्राइवर था. लगभग 20 मिनट बाद हमारी मुखबिर रीमा (बदला हुआ नाम) अपनी छोटी बेटी और नवजात बेटे के साथ पहुंची. रीमा ने आगे की प्लानिंग हमारे साथ शेयर की. हम बरवाला जा रहे थे, जहां सीता नाम की एक महिला से लिंग परीक्षण करवाने की उम्मीद थी. बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश से दो लोग इस प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए वहां जा रहे थे. हम सुबह 8.45 बजे अंबाला कोर्ट परिसर से निकले. मेरे पास हिडेन रिकॉर्डिंग डिवाइस थी. रीमा, जो एक अनुभवी मुखबिर थी, उसने अपने पिछले मिशनों की कहानियां साझा करके हमारी घबराहट को शांत करने की कोशिश की, जिसके कारण अपराधियों की गिरफ्तारी हुई थी.

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Raid team consisting PC-PNDT officials from Hisar and Panchkula.
रेड डालने निकली टीम में हिसार और पंचकूला के पीसी-पीएनडीटी अधिकारी शामिल थे. 

सुबह 10.43 बजे बरवाला पहुंचने पर सीता ने अचानक अपना स्थान बदल दिया. नई जगह पंजाब के अधिकार क्षेत्र में आती थी. नतीजतन, हिसार और पंचकूला की टीमें हमारे साथ थीं, साथ ही हिसार से एक डेडिकेटेड सीआईए (क्राइम इंवेस्टिगेशन एजेंसी) यूनिट भी थी. अब हमारा संशोधित गंतव्य पंजाब का एक गांव रामपुर बहल था. जैसे ही रेड का स्थान बदला, हमने इसे अपने व्हाट्सएप ग्रुप ‘मिशन 950’ में अपडेट कर दिया- जो पूरी ऑपरेशन टीम को जोड़ने वाली डिजिटल लाइफलाइन है. लगभग 11 बजे हम पंजाब की ओर स्थित रामपुर बहल गांव में पहुंचे- यह हरियाणा की पीसी-पीएनडीटी रेड टीम के अधिकार क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन था, जिसने आगे की सभी चीजों को जटिल बना दिया.

सीता ने हमसे अपने घर पर मुलाकात की, जो एक साधारण दो मंजिला इमारत थी. लिविंग रूम में बहुत कम सामान था, जिसमें एक अकेला सोफा और दो चारपाई थीं. जब सहाना और मैं, गर्भवती महिलाओं के रूप में, प्रतीक्षा कर रहे थे, एक नकाबपोश आदमी थोड़ी देर के लिए दिखाई दिया, हमें ध्यान से देखने से पहले वह पीछे हट गया. सीता ने हमें जूस दिया और इंतजार करने को कहा. तभी हमें उन दो लोगों में से एक की पहली झलक दिखी जो लिंग परीक्षण करने यूपी से आए थे. कुछ ही देर में सीता ने पहले से पेमेंट की मांग की- इस पूरी प्रक्रिया के लिए उसने 80,000 रुपये मांगे. उसके लहजे से यह स्पष्ट हो गया कि डॉक्टर बिना पैसे के आगे नहीं बढ़ेंगे.

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सहाना ने विरोध करते हुए कहा कि पहले सहमति जताई गई थी कि भुगतान बाद में किया जाएगा. लेकिन हमारी मुखबिर रीमा ने तुरंत हस्तक्षेप किया और चेतावनी दी कि मना करने से हमारा भेद खुल सकता है. पैसे सौंप दिए गए. इसके तुरंत बाद, सीता वापस लौटी और हमें अपने फोन बाहर छोड़ने का निर्देश दिया, यह कहते हुए कि डॉक्टरों ने अंदर किसी भी डिवाइस को रखने से सख्त मना किया है. हमने उसके निर्देश का पालन किया. सबसे पहले सहाना को बुलाया गया. थोड़ी देर बाद, तथाकथित डॉक्टर ने दावा किया कि बच्चे की स्थिति के कारण लिंग का परीक्षण करना मुश्किल हो रहा है, और उसे दोबारा कोशिश करने से पहले इधर-उधर घूमने के लिए कहा. 

Sita, who was doing the sex determination tests, during the raid
रेड के दौरान लिंग परीक्षण कर रही सीता को गिरफ्तार कर लिया गया. 

फिर मेरी बारी आई, लेकिन मैं हिचकिचा रही थी. मैंने जोर देकर कहा कि पहले सहाना लिंग परीक्षण कराए. संदेह पैदा होने से बचने के लिए, मैंने अपनी अनिच्छा को एक नर्वस मजाक के साथ छुपाया, ‘क्या होगा अगर परीक्षण में पता चले कि यह एक लड़की है?’ उसके पीछे एक बहुत ही वास्तविक डर छिपा था कि कहीं सच उजागर न हो जाए. सौभाग्य से मेरे लिए, सहाना को फिर से बुलाया गया. सीता ने दावा किया कि सहाना के स्कैन में पता चला है कि उसकी गर्भ में पल रहा भ्रूण एक लड़के का है, लेकिन उन्होंने कहा कि वे पुष्टि के लिए फिर से स्कैन करेंगे. 

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मैंने अंदर झांका और देखा कि सहाना बिस्तर पर लेटी हुई थी. वायरलेस स्टेथोस्कोप का इस्तेमाल किया जा रहा था. रीमा और मुझे संदेह होने लगा: क्या यह वाकई अल्ट्रासाउंड था? रीमा ने लैपटॉप स्क्रीन की ओर इशारा किया जिस पर लाइव फीड दिखाई दे रही थी, जिसे कोई दूसरा आदमी चला रहा था. मैंने अंदर जाकर टेक्नीशियन और सीमा से पूछा कि रिपोर्ट क्यों नहीं जनरेट हो रही है. टेक्नीशियन ने अस्पष्ट रूप से जवाब दिया, दावा किया कि वह डिजिटल लेंस का उपयोग कर रहा है. उसने कहा कि यह एक लड़का है, और व्हाट्सएप के माध्यम से रिपोर्ट भेज दी जाएगी. फिर, उसने सहाना का फोन नंबर मांगा. 

इस बीच, दूर से ऑपरेशन की निगरानी कर रही हिसार टीम को व्हाट्सएप ग्रुप ‘मिशन 950’ के माध्यम से सूचित किया गया. हमारे ड्राइवर ने उन्हें बताया कि डॉक्टर अंदर हैं और परीक्षण चल रहा है. लगभग 11.50 बजे, जैसे ही रीमा सहाना का फोन नंबर बता रही थी, छापा मारने वाली टीम अंदर घुस आई. अधिकारी तेजी से दरवाजा तोड़कर अंदर घुसे और एक लैपटॉप, स्टेथोस्कोप, अल्ट्रासाउंड जेल और अन्य चिकित्सा उपकरण जब्त कर लिए. सीता के साथ, डॉक्टर के रूप में पेश आने वाले दो लोगों की पहचान उत्तर प्रदेश के बड़गांव के राहुल और नितेश के रूप में हुई. दोनों ने अपने द्वारा इस्तेमाल किए गए औजारों को छिपाने का प्रयास किया, लेकिन मैंने मिशन 950 समूह के माध्यम से टीम को पहले ही सूचित कर दिया था, जिसमें बताया गया था कि सामान कहाँ छिपाया गया था, जिससे उन्हें तुरंत बरामद किया जा सका. 

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The raid was coordinated through the Mission 950 WhatsApp group.
छापेमारी का समन्वय मिशन 950 व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से किया गया. 

तीनों ने शुरू में आरोपों से इनकार किया. हालांकि, लैपटॉप के ब्राउजर हिस्ट्री से सच्चाई उजागर हो गई: वे हमें धोखा देने के लिए एक यूट्यूब वीडियो का उपयोग कर रहे थे, जिसमें यूएसजी स्कैन में एक शिशु लड़का दिखाई दे रहा था. सीता और नितेश के फोन बरामद कर लिए गए, लेकिन राहुल का डिवाइस गायब था. राहुल ने शुरू में टीम को गुमराह करने की कोशिश की, यह दावा करते हुए कि उसके पास कभी फोन नहीं रहा. हालांकि, पूछताछ के दौरान पता चला कि उसने सीता को फोन किया था. कुछ समझाने के बाद उसने कबूल किया कि दो अन्य लोग उत्तर प्रदेश से ब्रेजा कार में उनके साथ आए थे और उन्हें छोड़ गए थे. उसने दावा किया कि उसने फोन उन्हीं के पास छोड़ दिया था.

राहुल के साथ अकेले में बिताए कुछ पलों में मैंने उससे कबूलनामा करवा लिया. उसने इस रैकेट में शामिल होने की बात कबूल करते हुए कहा कि वह दिल्ली के नौरोजी नगर में निर्माण मजदूर के तौर पर काम कर रहा था, लेकिन दिसंबर में पीलिया के कारण उसने काम छोड़ दिया था. अफसोस जताते हुए उसने कहा कि वह पैसे के लिए इस काम में शामिल हुआ था और उसने सीता को इसके पीछे की मास्टरमाइंड बताया. इस बीच, सीता ने राहुल पर दोष मढ़ना जारी रखा. दूसरी ओर, नितेश ने जोर देकर कहा कि वह अब रैकेट का हिस्सा नहीं है और उस दिन केवल इसलिए आया था क्योंकि राहुल ने उसे 10,000 रुपये देने का वादा किया था. राहुल ने भी पश्चाताप व्यक्त करते हुए कहा कि यह पहली बार होगा जब उसके परिवार में किसी को आपराधिक मामले का सामना करना पड़ेगा.

लेकिन ऑपरेशन अभी खत्म नहीं हुआ था. छापेमारी पंजाब के अधिकार क्षेत्र में हुई थी, जिसका मतलब था कि स्थानीय पुलिस को एफआईआर दर्ज करनी थी. हरियाणा टीम के अनुसार, उन्होंने अपने पंजाब के समकक्षों को रेड वाले स्थान की पुष्टि होते ही सचेत कर दिया था. फिर भी, पंजाब की स्वास्थ्य टीम छापेमारी के एक घंटे से अधिक समय बाद, दोपहर करीब 1 बजे घटनास्थल पर पहुंची. मौके पर पहुंचने के बाद पंजाब के अधिकारियों को घटनाक्रम के बारे में जानकारी दी गई. उनकी शुरुआती प्रतिक्रिया प्रोसीजर को लेकर थी. उन्होंने कहा कि कोई भी कार्रवाई करने के लिए उन्हें हरियाणा की ओर से औपचारिक रिपोर्ट की आवश्यकता है. दूसरी ओर, हरियाणा की टीम ने इस बात पर जोर दिया कि चूंकि यह अवैध कार्य पंजाब के क्षेत्र में हुआ था, इसलिए एक मजबूत कानूनी मामला बनाने के लिए दोनों स्वास्थ्य टीमों द्वारा समन्वित जांच की आवश्यकता होगी. यहीं से अधिकार क्षेत्र को लेकर दोनों राज्य की टीमों के बीच संघर्ष शुरू हुआ.

पंजाब की टीम ने छापेमारी की बात मानने से इनकार करते हुए कहा कि उन्हें पहले से सूचित नहीं किया गया था या ऑपरेशन की प्लानिंग में शामिल नहीं किया गया था. उन्होंने इस तर्क को खारिज कर दिया कि ऑपरेशन शुरू होने के बाद ही रेड वाली जगह पंजाब के अधिकार क्षेत्र में स्थानांतरित हुई थी. पंजाब के अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि हरियाणा को रिपोर्ट दर्ज करनी चाहिए और पंजाब को ‘संज्ञान लेने’ देना चाहिए, लेकिन वे जांच करने या आरोपी से पूछताछ करने के लिए तैयार नहीं थे. जब दोनों टीमें अधिकार क्षेत्र और कागजी कार्रवाई पर बहस कर रही थीं, तो अपराधी किनारे से देख रहे थे- वे खुश थे, शायद राहत महसूस कर रहे थे- क्योंकि उनके सामने नौकरशाही का गतिरोध चल रहा था. विडंबना यह है कि यह वही खामी थी जिसका उनके जैसे लोग हमेशा जवाबदेही से बचने के लिए सहारा लेते थे.

Hisar
तस्वीर 1: आरोपी राहुल बिस्तर पर बैठा है. सीता भी दिख रही है. तस्वीर 2: आरोपी नितेश सबसे कोने में बैठा है. 

पंजाब पुलिस की टीम की देरी शंभू सीमा पर भारी तैनाती के कारण उचित थी, जहां किसानों का विरोध प्रदर्शन एक रात पहले ही खत्म कर दिया गया था. कारण जो भी हो, इसके बाद 12 घंटे तक गतिरोध बना रहा, जो रात करीब 10 बजे तक जारी रहा. स्थिति तब और बिगड़ गई जब स्थानीय ग्रामीणों को पता चला कि क्या हो रहा है. उन्हें एहसास हुआ कि हम आम मरीज़ नहीं थे बल्कि कानून लागू करने वाली एजेंसियों के साथ काम कर रहे मीडिया स्टिंग का हिस्सा थे, इसलिए तनाव तेज़ी से बढ़ गया. भीड़ आक्रामक हो गई और आरोपी को बचाने लगी, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई. एक समय तो ऐसा लगा कि आरोपी को इस अफरा-तफरी में भगा दिया जाएगा. शुक्र है कि पंजाब के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हस्तक्षेप किया और स्थिति को शांत किया, जिससे भीड़ को यह स्पष्ट हो गया कि किसी भी तरह की दबंगई दोषियों को नहीं बचा पाएगी.

रात होते-होते पंजाब पीसी-पीएनडीटी टीम आगे की एक छोटी कार्रवाई के लिए राजी हो गई. उन्होंने जब्त की गई नकदी के सीरियल नंबरों की पुष्टि की और हस्ताक्षर किए. लेकिन कोई औपचारिक बयान लेने या आरोपी से पूछताछ करने से इनकार कर दिय. उनका तर्क था कि बिना किसी अल्ट्रासाउंड मशीन को जब्त किए, यह मामला पीसी-पीएनडीटी अधिनियम के तहत योग्य नहीं है. हरियाणा की टीम ने कानून का हवाला देते हुए इस पर आपत्ति जताई. उन्होंने बताया कि पीसी-पीएनडीटी एक्ट के तहत, किसी भी तरह से भ्रूण के लिंग का खुलासा करने का प्रयास भी धारा 5 के तहत दंडनीय अपराध है. इस मामले में, अल्ट्रासाउंड इंटरनेट पर स्ट्रीम होने और रिपोर्ट के फर्जी होने के बावजूद, बच्चे का लिंग उजागर हो गया, जो स्पष्ट रूप से उल्लंघन है. इसके अलावा, अपराध करने में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के उपयोग के लिए आईटी अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के साथ-साथ षड्यंत्र, जालसाजी और धोखाधड़ी के आरोपों पर भी विचार किया जा सकता है.

इसके बावजूद, पंजाब पुलिस का कहना था कि वे केवल अपने राज्य के पीसी-पीएनडीटी प्राधिकरण के निर्देशों पर ही कार्य कर सकते हैं. इस बीच, महत्वपूर्ण साक्ष्य दरारों से फिसल रहे थे। उनमें से मुख्य: राहुल का फोन, वही डिवाइस जिसका इस्तेमाल उसने सीता और संभवतः कई अन्य ग्राहकों के साथ समन्वय करने के लिए किया था. इसका डिजिटल ट्रेल बहुत बड़े नेटवर्क को उजागर कर सकता था. फिर भी, इसे कभी जब्त नहीं किया गया, कभी जांच नहीं की गई. अनदेखा किया गया. और शायद यही सबसे क्रूर विडंबना है. वह फोन जांचकर्ताओं को हमारे जैसे अन्य लोगों तक पहुंचा सकता था, जिन्हें धोखा दिया गया था. लेकिन कोई भी आगे नहीं आया. वे जो सेवाएं चाहते थे, वे आखिरकार अवैध थीं. यह एक अपराध था जो दूसरे अपराध पर आधारित था.  

Officials from Punjab Police during the raid.

आखिरकार, हिसार से डॉ. दयाल की टीम ने जब्ती संबंधी कागजी कार्रवाई पूरी की. मैंने डिकॉय 2 के तौर पर शिकायत पर हस्ताक्षर किए और आखिरकार मुझे जाने दिया गया, जबकि टीम को मोहाली की पीसी-पीएनडीटी टीम से सहयोग न मिलने के मामले में पुलिस स्टेशन जाकर रिपोर्ट देनी पड़ी. जैसे ही मैं रवाना हुई, हिसार के एक पुलिस अधिकारी मुझे वापस मेरे वाहन तक ले गए और कहा, ‘मैडम, ऐसा ही होता है. आप सच लिखना. आपने आज सब कुछ देखा है, ये लोग अधिकार क्षेत्र बोलके अपराधियों को ऐसे ही छोड़ देते हैं. कितनी बार देखा है.’ उनके शब्द मेरे दिमाग में घूम रहे थे, एक असहज सच्चाई के साथ गूंज रहे थे. हरियाणा अकेले इस बोझ को नहीं उठा सकता. लिंग अनुपात विषमता को ठीक करने की जिम्मेदारी अकेले एक राज्य पर नहीं आ सकती. जब तक एक इंटीग्रेटेड और इंटर-स्टेट स्ट्रेटजी के साथ, जो नौकरशाही के हस्तक्षेप और लालफीताशाही से मुक्त हो, इस अवैध धंधे से नहीं निपटा जाएगा, जन्म से पूर्व लिंग-परीक्षण के खिलाफ लड़ाई अपने ही वजन के नीचे लड़खड़ाती रहेगी.

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अपराधियों की सर्च हिस्ट्री से पता चला कि वे अपने ग्राहकों को धोखा देने के लिए एक अल्ट्रासाउंड स्कैन के यूट्यूब वीडियो का उपयोग कर रहे थे, जिसमें एक लड़का दिख रहा था.

आखिरकार, हरियाणा के किसी परिवार को अवैध जांच के लिए सीमा पार कर पड़ोसी राज्य में जाने में बस कुछ ही घंटे लगते हैं. और जैसा कि हरियाणा की पीसी-पीएनडीटी टीम पुष्टि करती है, यह प्रवृत्ति जोर पकड़ रही है. लिंग परीक्षण रैकेट के अंधेरे अंडरवर्ल्ड में, एक क्रूर विडंबना अक्सर सामने आती है. जब कोई फर्जी ऑपरेटर गलती से भ्रूण को लड़की के रूप में पहचान लेता है, तो परिवार, जड़ जमाए पूर्वाग्रह से प्रेरित होकर, अक्सर अवैध गर्भपात का सहारा लेते हैं. हरियाणा पीसी-पीएनडीटी टीम को ऐसे कई दर्दनाक मामले देखने को मिले हैं. लड़के की चाहत रखने वाले परिवारों को यह गलत धारणा बनाकर गर्भपात करवा दिया गया कि भ्रूण लड़की है, लेकिन बाद में पता चला कि वह लड़का था. द वैनिशिंग डॉटर्स का पार्ट 3 यहीं तक था. अब पार्ट 4 में आप पढ़ेंगे इस मूक, क्रूर अपराध की दुनिया में फंसी महिलाओं की कहानी- वे महिलाएं जिनका जीवन हमेशा के लिए बदल गया.

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